हमर मया मा दू आखर हे
इही हमर चिन्हारी जी
तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर
ऊपर परिही भारी जी.
हमर मया मा खोट नहीं हे
सोना – चाँदी, नोट नहीं हे
त्याग-तपस्या मूल मंत्र हे
झूठ – लबारी गोठ नहीं हे
अजमा के तुम हमर मया ला
देखव तो संगवारी जी……
तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर
ऊपर परिही भारी जी.
तुँहर प्रेम बस सात जनम के
मया जनम-जन्मांतर के
प्रीत किये दु:ख होवे संगी
मया मूल सुख-सागर के
अपना के तुम हमर मया ला
देखव प्रेम-पुजारी जी……
तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर
ऊपर परिही भारी जी.
प्रेम के रद्दा ,आग के दरिया
कागद के जीवन डोंगा
मया हे शीतल महानदी कस
पार लगे जीवन डोंगा
हमर मया “मंदिर के ज्योति”
तुँहर प्रेम चिंगारी जी……..
हमर मया मा दू आखर हे
इही हमर चिन्हारी जी
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया –
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)